मैं ख्या़ल हूॅं किसी और का Mai Khyal Hu Kisi Aur Ka Lyrics

Mai Khyal Hu Kisi Aur Ka Is A Hindi Ghazal.


Mai Khyal Hu Kisi Aur Ka Lyrics

मैं ख्याल हू किसी और का मुझे सोचता कोई और है
सारे-आईना मेरा अक्स है पसे-आईना कोई और है
मैं ख्याल हू किसी और का मुझे सोचता कोई और हैं !

मैं किसी की दस्ते-तलब में हू तो किसी की हर्फे-दुआ में हू
मैं नसीब हू किसी और का मुझे मागता कोई और हैं ।।

तूझे दुश्मनों की ख़बर ना मुझे दोस्तों का पता नहीं
तेरी दस्ता कोई और थी मेरा वाक्य कोई और हैं ।।

कभी लौट आएं तो पूछना नहीं देखना उन्हें गौर से
जिन्हें रास्ते में ख़बर हुईं की ए रास्ता कोई और हैं ।।

अजब ऐतबार-ओ-बे-ऐतबार के दरम्यान हैं ज़िंदगी
मैं क़रीब हू किसी और के मुझे जनता कोई और हैं ।।

तेरी रोशनी मेरे खद्दो-खाल से मुख्तलिफ़ तो नहीं मगर
तू क़रीब आ तुझे देख लू तू वही है या कोई और हैं !!

वहीं मुंसिफो की रवायते वहीं फैसलों की इबारतें
मेरा जुर्म तो कोई और थापर मेरी सजा कोई और हैं ।।

जो मेरी रियाज़त-ए-नीम-शब को ‘सलीम’ सुबह न मिल सकी
तो फिर इसके माअनी तो ए हुए की , यहा खुदा कोई और हैं ।।

मुझे तुम याद आते हो

दिल-ए-नादाँ


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