देश भक्ति पर कविताएँ Desh Bhakti Kavita

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Desh Bhakti Kavita In Hindi

1. देश के लिए मर मिटना है

देश के लिए जो मर मिटे वही जांबाज होता है
जो खून आया वतन के काम वही इंसान होता है

जो मर जाए भारत मां की रक्षा में
वो वतन का रखवाला हिंदुस्तान की शान होता है
वही एक सैनिक का सम्मान होता है।।

खून खौल उठे दुश्मन के नाम से
तलवारें निकल जाए मयान से
जो रखे हमारी धरती पर नापाक कदम
सर कट जाए उसका इस हिंदुस्तान से।।

एक मां ने अपना लाल भेज दिया जंग के मैदान में
भारत माता की रक्षा और सम्मान में
अंजाम क्या होगा जंग का जाने बिना
जांबाज शेर भेज दिया जंग के मैदान में।।

वो रक्षा कर रहा था तिरंगे की देश की शान में
कदम ना रखने दिया दुश्मन को जमीं हिंदुस्तान में
गोली खा ली सीने पर तिरंगे की आन में
लहू से लिख गया जांबाज कहानी हिंदुस्तान में।।


2. ए वतन

एक मां ने अपना लाल भेज दिया जंग के मैदान में
पत्नी ने अपना सुहाग भेज दिया उस रण के मैदान में
बहन ने अपनी राखी भेजी भाई के सम्मान में
मिट गया वो भाई, बेटा भारत की आन में।।

उससे पूछो उसके दिल पर क्या गुजरी होगी
जिस मां ने अपना दूध पिलाया दामन पर क्या गुजरी होगी
सर पर बांधे कफन, दिल में वो परिवार लिए लड़ा होगा
दुश्मन के सामने वह हिमगिरि सा खड़ा होगा।।

उसकी अर्थी आई होगी जब उसके गांव में
सिर झुक गया होगा सबका उसके सम्मान में
दे दिया जिसने बलिदान भारत माता की आन में
लहू से भर दी होगी मांग, विधवा पत्नी के सम्मान में।।

सुनी हुई मांग पत्नी की, मां का लाल चला गया
घर का वह बेटा भारत मां का सम्मान चला गया।।


3. आजादी के मतवाले

आजादी के मतवाले सीना तान चलते हैं
जंग के मैदान में शेर- ए हिंदुस्तान चलते हैं
दुश्मन कांपे इनकी गोली से
सर पर कफन बांध हिंदुस्तान के लाल चलते हैं।।

एक भिड़ जाए सो से
ऐसे जांबाज वीर जवान चलते हैं
देशभक्ति की मिसाल लिए
देशप्रेम का सम्मान चलते हैं।।

सीने में आग, कंधे पर गोला बारूद लिए चलते हैं
एक तिरंगे के पीछे देश प्रेम की आस लिए चलते हैं
फिक्र नहीं अपनी, जान हथेली पर लिए चलते हैं
मन में हौसला, दिल में जोश लिए चलते हैं

सो जाते है घरों में सब आराम से
135 करोड़ हिन्दुस्तानियों की रक्षा का मान लिए चलते है
रात हो या दिन हो, हथेली पर अपनी जान लिए चलते है
आजादी के मतवाले सीना तान चलते हैं।।


4. भारत की शान तिरंगा है

मिट गए वीर तिरंगे की आन में
ऊंचा रहे सदा तिरंगा भारत के सम्मान में
हिमालय की तरह सुशोभित होता रहे हिंदुस्तान में।।

जन गण मन होता रहे हिंदू राज्य स्वराज में
झंडा ऊंचा रहे हमारा भारत की शान में
सम्मान करें हम सब इसका
गर्व करें अभिमान से।।


भारत मां का ना शीश झुके
कट जाए सर तलवार से
आजादी का मोल चुका है
हम सबका अपनी जान से।।

हिंद देश के वासी हम
लड़ जाएं सीना तान के
छलनी कर दे दुश्मन को
जब बात आए अपनी आन पर।।


Desh Bhakti Kavita Hindi

5. आजादी का मतलब

आजादी का मतलब दुनिया को समझाना है
देशभक्ति की ज्वाला दुश्मन को दिखलाना है ।।

सैनिक लड़ता सीमा पर
देश के गद्दारों को मार भगाना है
जिनको कीमत नहीं आजादी की
उनको देश से बाहर भगाना है ।।

एकता का पाठ पढ़ाना और सब को साथ लाना है
जज्बा रखो मर मिटने का यह सब को बतलाना है
सीमा पर जा नहीं सकते लड़ने, फिर भी देश को बचाना है
बात आए सम्मान की तो हर एक से लड़ जाना है ।।

एक सूत्र में बांधने भारत को
भाईचारा सिखलाना है
देशप्रेम का पाठ प्रत्येक बच्चे को पढ़ाना है
जांबाजों की वीर गाथाएं सबको याद कराना है

हमको भी देश की आजादी में हिस्सेदारी निभाना है
गर्व करें हम भारत पर सम्मान हमें बचाना है ।।


6. दुश्मन के सीने पर

दुश्मन के सीने पर चढ़कर
तांडव करके आना है
गोली बारूद के संग
भारत का मान बचाना है ।।

भारत में की, घुसने की कोशिश
पांव काट के आना है
हिंदुस्तानी कमजोर नहीं
यह दुश्मन को बतलाना है ।।

एयर स्ट्राइक के जैसे
घर में घुस के मारेंगे
पुलवामा ना होगा कभी
गोली सीने पर दागंगे ।।

बहुत हुई शांति की भाषा
आग उगलकर आना है
डर जाए दुश्मन जिससे
हूकार वो भर के आना है ।।

देश प्रेम की लो जलाकर
सीने पर गोली खाना है
हंसते हंसते मर जाएंगे
भारत मां को बचाना है ।।

Desh Bhakti Kavita

Desh Bhakti Par Kavita

7. झांसी की रानी पर कविता

अंग्रेजों को मार भगाया
मनु जिसका नाम था
झांसी की रानी थी वो
देशभक्ति जिसका काम था ।।

कई लड़ी थी लड़ाईया
भारत को आजाद पर कराया था
जन्म लिया इस माटी में
मिट्टी का मोल चुकाया था ।।

साथ मिला उसको प्रजा का
रणचंडी अवतार थी
तात्या टोपे सेनापति था
रक्त प्यासी तलवार थी ।।

बचपन से खेली तलवारों से
तीर भालो और हथियारों से
घुड़सवारी में निपुण थी वो
लक्ष्मीबाई जिसका नाम था ।।

खूब लड़ी अकेली वो
गोरो को मार भगाया था
दुश्मन के सीने पर चढ़कर
तांडव खूब मचाया था ।।

सम्मान करो उस रानी का
वह झांसी की महारानी थी
देशभक्ति की पराकाष्ठा
राष्ट्रभक्त स्वाभिमानी थी ।।


8. भारत मां के लाल कविता

चढ़ गए जो फांसी पर
वह भगत सिंह, आजाद थे
हंसते-हंसते पहना फंदा
भारत मां के ऐसे लाल थे।।

हिला दिया अंग्रेजी हुकूमत को
शम्मा ए वतन के परवाने
नहीं डरे वह किसी से
भारत के वह वीर दीवाने।।

जेलों में भी डाल रहा
अत्याचार किए मारा भी गया
पर किंचित ना भयभीत हुए
भारत के वीर सपूत हुए।।

आजादी आखिर पा ही ली
संघर्षों की जीत हुई
बलिदान नहीं गया व्यर्थ
भारत मां की जीत हुई।।


9. वह खून कहो किस मतलब का

वह खून कहो किस मतलब का जिसमें उबाल का नाम नहीं।
वह खून कहो किस मतलब का आ सके देश के काम नहीं।।

वह खून कहो किस मतलब का जिसमें जीवन, न रवानी है।
जो परवश होकर बहता है, वह खून नहीं, पानी है।।

उस दिन लोगों ने सही-सही खून की कीमत पहचानी थी।
जिस दिन सुभाष ने बर्मा में मॉंगी उनसे कुरबानी थी।।

बोले, “स्वतंत्रता की खातिर बलिदान तुम्हें करना होगा।
तुम बहुत जी चुके जग में, लेकिन आगे मरना होगा।।

आज़ादी के चरणें में जो, जयमाल चढ़ाई जाएगी।
वह सुनो, तुम्हारे शीशों के फूलों से गूँथी जाएगी।।

आजादी का संग्राम कहीं पैसे पर खेला जाता है।
यह शीश कटाने का सौदा नंगे सर झेला जाता है।।

यूँ कहते-कहते वक्ता की आंखों में खून उतर आया।
मुख रक्त-वर्ण हो दमक उठा दमकी उनकी रक्तिम काया।।

आजानु-बाहु ऊँची करके, वे बोले, “रक्त मुझे देना।
इसके बदले भारत की आज़ादी तुम मुझसे लेना।।

हो गई सभा में उथल-पुथल, सीने में दिल न समाते थे।
स्वर इनकलाब के नारों के कोसों तक छाए जाते थे।।

हम देंगे-देंगे खून शब्द बस यही सुनाई देते थे।
रण में जाने को युवक खड़े तैयार दिखाई देते थे।।

बोले सुभाष, “इस तरह नहीं, बातों से मतलब सरता है।
लो, यह कागज़, है कौन यहॉं आकर हस्ताक्षर करता है।।

इसको भरनेवाले जन को सर्वस्व-समर्पण काना है।
अपना तन-मन-धन-जन-जीवन माता को अर्पण करना है।।

पर यह साधारण पत्र नहीं, आज़ादी का परवाना है।
इस पर तुमको अपने तन का कुछ उज्जवल रक्त गिराना है।।

वह आगे आए जिसके तन में खून भारतीय बहता हो।
वह आगे आए जो अपने को हिंदुस्तानी कहता हो।।

वह आगे आए, जो इस पर खूनी हस्ताक्षर करता हो।
मैं कफ़न बढ़ाता हूँ, आए जो इसको हँसकर लेता हो।।

सारी जनता हुंकार उठी हम आते हैं, हम आते हैं।
माता के चरणों में यह लो, हम अपना रक्त चढाते हैं।।

साहस से बढ़े युबक उस दिन, देखा, बढ़ते ही आते थे।
चाकू-छुरी कटारियों से, वे अपना रक्त गिराते थे।।

फिर उस रक्त की स्याही में, वे अपनी कलम डुबाते थे।
आज़ादी के परवाने पर हस्ताक्षर करते जाते थे।।

उस दिन तारों ने देखा था हिंदुस्तानी विश्वास नया।
जब लिक्खा महा रणवीरों ने ख़ूँ से अपना इतिहास नया।।


10. Desh Bhakti Poem In Hindi

जहाँ डाल-डाल पर सोने की चिड़िया करती है बसेरा।
वो भारत देश है मेरा।।

जहाँ सत्य, अहिंसा और धर्म का पग-पग लगता डेरा।
वो भारत देश है मेरा।।

ये धरती वो जहाँ ऋषि मुनि जपते प्रभु नाम की माला।
जहाँ हर बालक एक मोहन है और राधा हर एक बाला।।

जहाँ सूरज सबसे पहले आ कर डाले अपना फेरा।
वो भारत देश है मेरा।।

अलबेलों की इस धरती के त्योहार भी हैं अलबेले।
कहीं दीवाली की जगमग है कहीं हैं होली के मेले।।

जहाँ राग रंग और हँसी खुशी का चारों ओर है घेरा।
वो भारत देश है मेरा।।

जब आसमान से बातें करते मंदिर और शिवाले।
जहाँ किसी नगर में किसी द्वार पर कोई न ताला डाले।।

प्रेम की बंसी जहाँ बजाता है ये शाम सवेरा।
वो भारत देश है मेरा।।


11. हिंदुस्तान है दिल में

हर भारतवासी के दिल में हिंदुस्तान निराला है
उसका गौरव और शौर्य आत्मसम्मान निराला है
उसकी रक्षा करने को फौलादी जिगर मतवाला है।।

सीमा पर जाने को हर बालक मतवाला है
दुश्मन के खून का प्यासा वह भारत का रखवाला है
समय पड़ने पर जान भी दे दे भारत का वह लाला है
आत्म सम्मान की अभिव्यक्ति भारत का शौर्य निराला है।।

खून से लिख देगा वो आजादी की परिभाषा है
युवाओं का देश है ये राष्ट्र की अभिलाषा है
मौका आने पर भारत का हर बच्चा लड़ जाएगा
घर में घुस कर मारेगा उसको औकात दिखाएगा।।

भारत अब निश्चिंत रहें इन षड्यंत्री आभाओ से
शौर्य का दीप नहीं बुझता इन गीदड़ भभकी भाषाओं से
नफरत की सियासत बांटने वालों को पेला जाएगा

भारत की तरफ जो आंख उठी तो
दंगल अब खेला जाएगा।।


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